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राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ ( Rajasthan ki Sinchai Pariyojana PDF )

राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ ( Rajasthan ki Sinchai Pariyojana PDF )

राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ ( Irrigation Projects in Rajasthan )

बहुउद्देश्यीय परियोजनाएँ

1. भाखड़ा नांगल परियोजना

भागीदार : पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान (15.2%)

देश की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय परियोजना।

भाखड़ा बाँध (1962 में निर्मित) बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश “आधुनिक भारत का मंदिर”-पंडित नेहरू।

ऊँचाई-225.55 मीटर (भारत का सबसे ऊँचा बाँध)

जलाशय का नाम : गोविंद सागर

नाँगल बाँध (1952 में निर्मित) रोपड़, पंजाब

गंगूवाल एवं कोटला विद्युत गृह (85 MW, 85 MW)

भाखड़ा नहर प्रणाली (1954) से राजस्थान में सिंचाई एवं पेयजल हेतु जल उपलब्ध होता है।

इस परियोजना से राज्य के हनुमानगढ़ जिले में सिंचाई होती है।

2. व्यास परियोजना

यह पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।

व्यास नदी पर हिमाचल प्रदेश में पंडोह एवं पोंग बाँध बनाए गए

राजस्थान को अधिकांश जल एवं जल विद्युत पोंग बाँध (कांगड़ा) से प्राप्त होता है।

व्यास परियोजना से इंदिरा गांधी नहर परियोजना को अतिरिक्त जल की आपूर्ति होती है।

वर्ष 1986 में गठित इराड़ी आयोग ने इस परियोजना से राजस्थान को 86 लाख एकड़ फीट जल निर्धारित किया था।

3. चम्बल घाटी परियोजना

यह राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की समान भागीदारी (50 : 50) वाली परियोजना है।

4. माही बजाज सागर परियोजना

परियोजना माही नदी पर गुजरात (55%) एवं राजस्थान (45%) की भागीदारी से बनाई गई है।

बाँध : (i) माही बजाज सागर (बोरखेड़ा गाँव, बाँसवाड़ा)

(ii) कागदी पिक-अप बाँध (कागदी गाँव, बाँसवाड़ा)

(iii) कडाणा बाँध (पंचमहल, गुजरात)

माही परियोजना से राजस्थान के बाँसवाड़ा एवं डूंगरपुर जिलों में सिंचाई होती है।

इस परियोजना की समस्त विद्युत राजस्थान को मिलती है।

(B) वृहद सिंचाई परियोजनाएँ

राजस्थान में वर्तमान में 11 वृहद सिंचाई परियोजनाएँ हैं-इंदिरा गांधी नहर, नर्मदा नहर, भीखाभाई सागवाड़ा नहर, यमुना जल सिंचाई परियोजना, भरतपुर नहर, गुड़गाँव नहर, जाखम बाँध, बीसलपुर बाँध, गंगनहर, सिद्धमुख-रतनपुरा वितरिका एवं राजीव गाँधी सिद्धमख-नोहर परियोजना। इनके अलावा पाच वृहद् परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं-मनोहर थाना, इंदिरा लिफ्ट, कालीसिंध, परवन एवं माही उच्च स्तरीय।

1. इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना (I.G.N.P.)

पश्चिमी राजस्थान की सदियों से प्यासी मरुभूमि का प्यास बुझाने वाली राजस्थान की जीवनरेखा इंदिरा गाँधी नहर ‘मरु गंगा’ के नाम से जानी जाती है। हिमालय के जल द्वारा इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सिंचाई होने से गर्म तथा शुष्क रेगिस्तान, हरे-भरे मैदानों में बदल रहा है। I.G.N.P. में राजस्थान के अलावा कोई राज्य भागीदार नहीं हैं।

सर्वप्रथम 1948 में बीकानेर राज्य के तत्कालीन मुख्य सिंचाई इंजिनियर श्री कँवरसेन ने अपने लेख ‘बीकानेर राज्य में पानी की आवश्यकताएँ’ में इस नहर की रूपरेखा प्रस्तुत की, इसीलिये कँवरसेन को ‘इंदिरा गाँधी नहर का जनक’ माना जाता है। 1958 में गठित ‘अंतर्राज्यीय राजस्थान नहर बोर्ड’ का प्रथम अध्यक्ष भी श्री कँवरसेन को बनाया गया।

प्रारम्भ में इस नहर का नाम ‘राजस्थान नहर’ था, लेकिन इंदिरा गाँधी की मृत्यु के पश्चात् 3 नवम्बर, 1984 को इसका नाम इंदिरा गाँधी नहर परियोजना’ (I.G.N.P.) कर दिया गया।

2. नर्मदा नहर परियोजना (गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान)

नर्मदा जल विवाद प्राधिकरण द्वारा राजस्थान के हिस्से का निर्धारित 0.50 MAF पानी के उपयोगार्थ सरदार सरोवर बाँध (गुजरात) से 532 किमी. लम्बी नहर निकाली गई है। इस नहर की 458 किमी. लम्बाई गुजरात में एवं 74 किमी. लम्बाई राजस्थान में है।

नर्मदा नहर से जालोर तथा बाड़मेर जिलों में 233 गाँवों की 12.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होगी तथा तीन नगरोंसांचोर, भीनमाल एवं जालोर सहित दोनों जिलों के 1107 गाँवों को पेयजल मिलेगा।

यह राजस्थान की पहली परियोजना है,जिसमें सम्पूर्ण सिंचाई ‘फव्वारा पद्धति से होगी।

3. भीखाभाई सागवाड़ा नहर

भारत सरकार की त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अंतर्गत माही नदी पर साइफन का निर्माण करके भीखाभाई सागवाड़ा नहर निकाली गई है।

इस परियोजना से डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा क्षेत्र में 11,811 हेक्टेयर क्षेत्र पर सिंचाई की जाती है।

इस नहर का नामकरण वागड़ के स्वतंत्रता सेनानी स्व. भीखाभाई भील के नाम पर किया गया है।

4. यमुना जल सिंचाई परियोजना

यमुना जल बंटवारे के तहत राजस्थान को प्राप्त जल के उपयोग हेतु यह परियोजना बनाई गई है।

इस परियोजना से राजस्थान के भरतपुर, झुंझुनूं एवं चूरू जिलों को सिंचाई एवं पेयजल हेतु पानी मिलेगा।

इस परियोजना से डीग (भरतपुर) के तालाबों, अजान बाँध एवं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जल की आपूर्ति की जाएगी।

भरतपुर जिले हेतु ओखला हैडक्वार्ट्स (हरियाणा) से नहर का निर्माण कार्य चल रहा है। जबकि चूरू एवं झुंझुनूं जिलों हेतु ताजे वाला हैडक्वार्ट्स (हरियाणा) से पश्चिमी यमुना नहर, जवाहर लाल नेहरू नहर एवं लुहारू नहर निर्माणाधीन है।

5. भरतपुर नहर

1964 ई. में पश्चिमी यमुना से निकाली गई इस नहर से भरतपुर जिले के 11,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।

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1 Comments
  • Unknown
    Unknown May 3, 2021 at 11:25 AM

    Reet notes

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