राजस्थान में पशुपालन PDF Download

राजस्थान में पशुपालन (Rajasthaan ka Pashupalan PDF)

राजस्थान में पशुपालन (Rajasthaan ka Pashupalan PDF)

Livestock in Rajasthan ( राजस्थान में पशुपालन  )

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1951 में सर्वप्रथम पशुगणना हुई। 1986-88 की गणना के दौरान भयंकर अकाल की वजह से कमी दर्ज की गई। इस समय सर्वाधिक कमी भेड़ों में तथा बढ़ोतरी मात्र भैंसों की संख्या में हुई।

वर्ष 1997 की तुलना में 2003 में राज्य में कुल पशु सम्पदा में लगभग 55.09 लाख (10.08%) की कमी हुई जिसका मुख्य कारण अकाल व सूखा रहा। (1998-2002)

दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। राजस्थान देश में उत्तर प्रदेश व आंध्र प्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर है। (संसद में रिपोर्ट, सित., 2010)

सर्वाधिक दूध- उत्पादन जयपुर, श्रीगंगानगर, अलवर जिलों में।

न्यूनतम दूध- उत्पादन बाँसवाड़ा में।

राज्य में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता–360 ग्राम ।

राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता-232 ग्राम ।

राजस्थान देश में सबसे बड़ा ऊन उत्पादक राज्य है । (40% ऊन) जोधपुर (सर्वाधिक), बीकानेर, नागौर प्रमुख ऊन उत्पादक जिले है।

देश की सबसे बड़ा गौशाला–पथमेड़ा, साँचौर (जालोर) में स्थित है। (आनन्द वन)

राजस्थान राज्य पशुपालक कल्याण बोर्ड का गठन 13 अप्रैल, 2005 को किया गया।

राजस्थान में भैस  

राजस्थान में सर्वाधिक भैंसें—अलवर, जयपुर, भरतपुर, उदयपुर, सीकर।

राजस्थान में न्यूनतम भैंसें जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, सिरोही, बारां।

भारत में सर्वाधिक भैंसें—(1) उत्तर प्रदेश, (2) मध्य प्रदेश

राजस्थान का स्थान–तीसरा

भैंस का दूध पौष्टिक, भारी व चिकना होता है।

राजस्थान में भैसों की नस्लें —मुर्रा , जाफराबादी , मेहसाणी , सुरती

राजस्थान में गौ वंश

सर्वाधिक गौ-वंश-उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़, जोधपुर, बीकानेर, बाँसवाड़ा-38% गौवंश 6 जिलों में।

न्यूनतम गौ वंश-धौलपुर, भरतपुर, करौली।

भारत में सर्वाधिक गौवंश उत्तर प्रदेश में पाया जाता है।

राजस्थान का गौवंश की दृष्टि से देश में छठा स्थान है।

राजस्थान में गौ वंश की नस्लें — राठी , थारपारकर , साँचोरी , नागौरी , गिर , मालवी , हरियाणवी , मेवाती , कांकेरज आदि।

राजस्थान में भेड़

केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर (मालपुरा, टोंक, 1962) में स्थित है। यहाँ भेड़ एवं खरगोश हेतु अनुसंधान कार्य होता है। इस संस्थान का मरु क्षेत्रीय परिसर उपकेन्द्र, बीछवाल (बीकानेर) में स्थापित किया गया है।

केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड-जोधपुर (1987)।

भेड़ व ऊन प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर।

केन्द्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला, बीकानेर (1965)।

राजस्थान में भेड़ की नस्लें — चोकला , मालपुरी , सोनड़ी , मारवाड़ी, नाली , पूगल , मगरा , जैसलमेरी , खेरी , बागड़ी आदि।

राजस्थान में बकरियाँ 

बकरी विकास एवं चारा उत्पादन परियोजना-रामसर (अजमेर)।

पश्चिम क्षेत्रीय केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र, अविकानगर (टोंक)-यहाँ स्विट्जरलैण्ड की अल्पाइन व टोगन नस्ल को सिरोही नस्ल से मिलाकर उन्नत बकरे-बकरियाँ विकसित किए जा रहे हैं। (स्विट्जरलैण्ड सरकार के वित्तीय सहयोग से)

राजस्थान में बकरियों की नस्लें — मारवाड़ी , बारबरी , झकराना , सिरोही , परबतसरी , शेखावाटी , जमनापारी आदि।

रेगिस्तान का जहाज-ऊँट

इसके कूबड़ में चर्बी का भण्डार होने, मोटी चमड़ी व पाँव गद्देदार होने, रेगिस्तान में तेज दौड़ सकने, प्यास जल्दी नहीं लगने के कारण इसे रेगिस्तान का जहाज कहते हैं।

भारत में सर्वाधिक ऊँट राजस्थान में मिलते हैं।

राजस्थान में सर्वाधिक ऊँट-बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, हनुमानगढ़।

राज्य में ऊँटों की संख्या लगभग 4.30 लाख है।

न्यूनतम ऊँट-झालावाड़, धौलपुर, बारां, बाँसवाड़ा।

नाचना (जैसलमेर) का ऊँट भारत भर में सुन्दरता, हिम्मत, रफ्तार, बोझा ढोने में प्रसिद्ध है।

गोमठ (फलौदी, जोधपुर) का ऊँट सवारी की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।

अन्य नस्लें : सिंधी, अलवरी, कच्छी।

केन्द्रीय ऊँट अनुसंधान संस्थान—जोड़बीड़ (बीकानेर) में स्थित

अश्व (घोड़े)

भारत में सर्वाधिक अश्व-जम्मू कश्मीर में।

राज्य का देश में स्थान-सातवाँ।

सर्वाधिक अश्वों वाले जिले—बाड़मेर, जालोर, झालावाड़, उदयपुर एवं भीलवाड़ा।

राज्य में न्यूनतम अश्व-बीकानेर, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, सिरोही।

पशुपालन विभाग ‘मालाणी घोड़ों की नस्ल सुधार हेतु अश्व विकास कार्यक्रम चला रहा है।

पशु पालन विभाग के अश्व प्रजनन केन्द्र—(7), बिलाड़ा (जोधपुर), सिवाना (बाड़मेर), मनोहर थाना (झालावाड़), बाली (पाली), जालोर, पाली, चित्तौड़गढ़।

बहुउद्देश्यीय चिकित्सालय–(3) बीकानेर, उदयपुर, जयपुर। आलम जी का धौरा गुढ़ामालाणी के पास बाड़मेर में स्थित है यह स्थान घोड़ों का तीर्थ स्थल’ के लिए प्रसिद्ध है।

गधे व खच्चर

सर्वाधिक-बाड़मेर, बीकानेर ।

न्यूनतम-दौसा, टोंक।

देश में सर्वाधिक गधे उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।

गधों व खच्चर का प्रयोग भवन निर्माण हेतु माल ढोने के काम में किया जाता है।

जयपुर के लूणियावास (खानिया बन्धा) में गधों का प्रसिद्ध मेला भरता है।

गधा शीतला माता की सवारी के रूप में पूजनीय है।

सूअर

माँस के लिए इनका पालन किया जाता है।

सूअर के बाल, दाँत, चमड़े से कई वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

सर्वाधिक सूअर-जयपुर, अजमेर, भरतपुर, अलवर।

न्यूनतम सूअर-बाँसवाड़ा, जैसलमेर।

सूअर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नौवीं पंचवर्षीय योजना में 1521 लाख रुपये खर्च किए गए थे।

राज्य सरकार ने अलवर में विदेशी नस्ल के सूअरों का राजकीय शूकर फार्म स्थापित किया है। इस फार्म पर लार्ज व्हाइट यार्क नस्ल के शूकर पाले जाते हैं।

देश में सर्वाधिक सूअर उत्तर प्रदेश में मिलते हैं।

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1 Comments
  • Anonymous
    Anonymous August 27, 2022 at 10:25 AM

    Bro this is old

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