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तरंगे (Waves)



तरंगे (Waves)


हेलो दोस्तों स्वागत है आपका mygknotes.com में।  दोस्तों इस पोस्ट में तरंगों के बारे में पढ़गे।  कि तरंगे कितने प्रकार की होती है और तरंगे क्या होती है और इनका क्या काम होता है तथा यह किस प्रकार से काम करती है। . 


तरंगे (Waves) : 

तरंगों के द्वारा ऊर्जा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण होता है। सरल भाषा में कहे तो तरंगे ऊर्जा को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने का काम करती है। 



तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है। 


1. यांत्रिक तरंगे (Mechanical Waves): 

  • वे तरंगे, जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव एवं गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगे कहलाती हैं। इन तरंगों के किसी माध्यम में संचरण 1 के लिए यह आवश्यक है कि माध्यम में प्रत्यास्थता (Elasticity) व जड़त्व (Inertia) के गुण मौजूद हों। 


यांत्रिक तरंगों के प्रकार : यह मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं
(i) अनुप्रस्थ तरंगें एवं (ii) अनुदैर्ध्य तरंगें 

(i) अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse Waves):
  • जब किसी माध्यम में तरंग गति की दिशा माध्यम | के कणों के कम्पन करने की दिशा के लम्बवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगे कहते हैं। अनुप्रस्थ तरंगें केवल ठोस माध्यम में एवं द्रव के ऊपरी सतह पर उत्पन्न की जा सकती हैं। द्रवों के भीतर एवं गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं। अनुप्रस्थ तरंगें शीर्ष (crest) एवं | गते (trough) के रूप में संचरित होती है।


(ii) अनुदैर्ध्य तरंगे (Longitudinal Waves): 
  • जब किसी माध्यम में तरग गति की माध्यम के कणों की कम्पन करने की दिशा के अनुदिश या समान्तर (along) होती है, तो वे तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगे कहते हैं। अनुदैर्ध्य तरंगें सभी माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं। ये तरंगें संपीडन (Compression) और विरलन(Rarefaction) के रूप में संचरित होती हैं। संपीडन वाले स्थान पर माध्यम का दाब एवं घनत्व अधिक होता है, जबकि विरलन वाले स्थान पर माध्यम का दाब एवं घनत्व कम होता है। वायु में उत्पन्न तरंगें, भूकम्प तरंगे, स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें आदि सभी अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।


2.अयांत्रिक तरंगे या विघुत -चुम्बकीय तरंगे (Non-mechanicalWavesor Electromagnetic Waves):

  • यांत्रिक तरंगों के अतिरिक्त अन्य प्रकार की तरंगें भी होती है, जिनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती तथा वे तरंगें निर्वात् (Vacuum) में भी संचरित हो सकती हैं। इन्हें अयांत्रिक या विघुत  चुम्बकीय तरंगें कहते हैं; जैसे—प्रकाश तरंगें, रेडियो तरंगें, X-तरंगें आदि।
  • विघुत -चुम्बकीय तरंगों में विद्युत् क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लम्बवत् तलों में कम्पन करते रहते हैं तथा रिक्त स्थान में प्रकाश की चाल से आगे बढ़ जाते हैं। इन क्षेत्रों के संचरण की दिशा उन तलों के लम्बवत् होती है जिनमें ये स्थित होते हैं। इस प्रकार विघुत -चुम्बकीय तरंग सदैव अनुप्रस्थ होती हैं तथा इन तरंगों की चाल प्रकाश के चाल के बराबर होती है। इन तरंगों  का तरंगदैर्घ्य परिसर (wavelength range) 10 की घात 14  मीटर से लेकर 10 की घात 4  मीटर तक होता है। कु प्रमख विद्युत-चुम्बकीय तरंगे सारणी में प्रदर्शित है।

तरंग गति (Wave Motion) : 

  • जब हम तालाब में एक पत्थर का टुकड़ा फेंकते हैं, तो स्थान  पर विक्षोभ (disturbance) उत्पन्न होता है, जो तरंगों के रूप में जल के चारों ओर फैल जाता है। यह विक्षोभ तरंगों के रूप में आगे बढ़ जाता है, जबकि माध्यम के कण यानी जल के कण अपने स्थान पर तरंग गति की दिशा के लम्बवत् ऊपर-नीचे कम्पन करते रहते हैं। इस प्रकार विक्षोभ को आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग गति कहते हैं।




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